________________ . श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 59 दास दासी आदि रखने हों उन की गिनती कर नियम लेना। नोकर, चाकर, मजदूर आदि रखनेकी जयणा / __(9) चतुष्पद-गाय भैस घोडा ऊंट बैल आदि जानवर चतुष्पद कहलाते हैं, इन की आवश्यकतानुसार गिनती कर नियम लेना / कभी कारण वश किसी अन्य की मवेशी थोडे समय के लिये रखनी पडे अथवा आसीवाले घाली हुई मवेशी कभी आ जाय तो बेचे वहां तक रखनेकी जयणा / प्रतिज्ञा "मैं देवगुरु साक्षिक अपरिमित परिग्रह का त्याग करता हूं और जीवन पर्यन्त के लिये धन धान्यादि वस्तु विषयक इच्छाका परिमाण करता हूँ।" अतिचार (1) धन-धान्यपरिमाणातिक्रम-परिमाण से अधिक धनके बढ जाने पर लोभ के वश कुछ रकम पुत्र स्त्री आदि के नाम पर चढा दे तथा अनाज अपने नियम मुजब घर में रख कर चाकी दूसरे के घर पर रख छोडे और जब चाहे तब ले आवे, इस के सिवाय व्रत लेने के समय में कच्चे मण के हिसाब से अनाज रक्खा हो और परदेश जाने पर वहां पक्के मण का तोल जान कर पक्के मण के हिसाब से रक्खे, इत्यादि करतब करने वाले को पहला अतिचार लगता है। ___(2) क्षेत्र-वास्तुपरिमाणातिक्रम-घर, दूकान आदि के . परिमाण से अधिक हो जाने पर विचली दिवार तोड कर दो