________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह सूडी, सुई आदि जो उपयोग में आवे उसकी संख्या करना / ___2 मसिकर्म-लिखने के उपयोगी साधन स्याही, कलम, होल्डर, पेन्सील, दवात आदि की संख्या रखना। ____3 कसिकर्म-खेती के उपयोगी हल, कुदाला, हलवाणी, फावडा, (पावडा) आदि की संख्या करना / पंद्रह कर्मादान 1 इंगालकर्म-कोयले बनाकर बेचना इंटे बनाकर बेंचना लुहार का सुनार का कलाल का हलवाई का धंधा जो अग्नि आरंभ से होता है इसमें आरंभ ज्यादह है इस लिये जहां तक हो सके यह कर्म श्रावक न करे / लकडी के कोलसे बना कर बेचने का तो अवश्य ही त्याग करे / सूखी लकडी कटाने की जयणा। __ 2 वनकर्म-लीले लकडे कटाना, फल, फूल, कंदमूल हरि वनस्पति विगैरह बेचना इत्यादि काम श्रावक को न करना चाहिये, जंगल कटाने का तो अवश्य ही त्याग करे / सूखी लकडी कटाने की जयणा / ____3 साडीकर्म-गाडी रथ नाव हल चरखा धूसरा चक्की मूसल विगैरह बनाकर बेचना यह 'साडी कर्म' श्रावक को छोडने लायक है। * * 4 भाडीकर्म-ऊंट बैल खचर घोडा गाडा आदि किराये देकर गुजरान करना यह भाडीकर्म कहलाता है। फोडीकर्म-आजीविका के लिये कूआ तालाव खुदावे, हल