________________ 280 3 स्तवनसंग्रह श्री आदिशांतिनाथजिनस्तवन मैं अरज करूं शिरनामी, प्रभु कर जोड जोड जोड // . मैं भववन में जा फसिया, वहां काल अनंता वसिया / मुझे लोभ सर्प आ डसिया, अखियां खोल खोल खोल / . . मैं अरज० // 1 // क्रोधानलने अतिबाला, मेरा अंग पड़ गया काला। मुझे पिला दे प्रेमरस प्याला, अमृत घोल घोल घोल / . . मैं अरज 0 // 2 // मान अजगर मुझ को खावे, मेरा प्राग पलक में जावे / जडी जीवन कौन पिलावे, वनमें घोल घोल घोल। .. मैं अरज० // 3 // तुम नाम मंत्र से साजा, कछु हो गया प्रभुं ताजा / कठोरगाम महाराजा, आया डोल डोल डोल। ....... मैं अरज० // 4 // श्री आदि शांतिजिन स्वामी, हंसो मागे शिरनामी / गुण मुक्ताफल दो धामी, प्रभु विन मोल मोल मोल / मैं अरज० // 5 //