________________ 372 5 पदसंग्रह जीवदयाका ज्ञानप्रसारक मंडल जग चिरकाल रहो, हम जैसे रंकोंको जीवनप्राणदान कर पुण्य लहो / दया धर्मका मूल जानकर सबजनता सहकार करो, ऐ धनवंत सज्जनो! इनमें धन दे तुम कल्याण वरो // 7 // धर्मी और.कर्मीका संवाद धर्मी-चालो बंधु जाइये, जिनवरजी के गुण गाइये / आनंद पाइए, भवदुःख से बेडा पार है ॥आ.॥ फर्मी-बात तुम्हारी सच्ची, पिणं कई कई बातें कच्ची। हम को जची, दमडा बडा कलदार है // 1 // धर्मी दमडा देखो नयन परेखो, नरकमांहि ले जावे / प्रभु भक्ति विना यह जीव कछु, शुभगति नहिं पावे / मेरे बंधु प्रभुपूजा परमाधार है // 2 // १०-विना द्रव्य दुनिया में देखो, कछु काम ना होवे / धर्मकर्म करके सहु जग में, अपनी मिल्कत खोवे / मेरे बंधु दमडा बडा कलदार है // 3 // प०-दमडा दमडा करे दिवाना, फिरे जगत में ज्यादा / दमडे कारण करे जो अनस्थ, तजे धर्ममर्यादा / मेरे बंधु प्रभुपूजा परमाधार है // 4 //