________________ श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 417 - इस मंडल के लिये गोल के श्रीसंघने 25 बैलगाडियाँ दो दिन पहले ही तखतगढ भेज दी थीं, इस से मंडल द्वितीय वैशाख शुदि 10 के प्रभात समय में ही गोल आ गया और संघ के आग्रह से मयवर्दी और गाने के जुलूस के आकार में नगर में चक्कर लगाया, जिस से नगरनिवासियों पर अपूर्व प्रभाव पडा. और सामान्य जनता तो इस मंडल को पुलिस से भी अधिक समझने लगी। (2) दूसरा मंडल जालोर का "श्री ओसवाल नवयुवक सेवामंडल" था / इस मंडल में कुल 25 स्वयंसेवक थे / यह मंडल वैशाख शुदि 13 को गोल आया और इसने भी प्रथमागत तखतगढ के मंडल के साथ हिलमिल कर संघ की सेवा बजाई। (3) तीसरा मंडल गोल का "श्रीपार्श्वनाथ सेवा मंडल" था। यह मंडल यद्यपि नया था फिर भी पूर्वोक्त मण्डलों के साथ मिल कर इसने भी अपनी सेवा अर्पण की। . 17 मंडलों की कार्यव्यवस्था - इन मंडलोंने उत्सव पर जो सराहनीय कार्यव्यवस्था द्वारा संघसेवा की है उसका संपूर्ण वर्णन करना इस लेखिनी की शक्ति के बाहर की बात है।