________________ 416 श्री गोलनगरीय पाश्वनाथप्रतिष्टा-प्रबन्ध और सर्वधातु के छोटे बडे अनेक जिन बिम्ब भाविक श्रावकसंघाँ की तरफ से नजदीक दूर से आये थे / पाषाण और धातु के मिलकर 200 दो सौ के ऊपर बिम्बसंग्ख्या हो चली थी। - जयपुर से आए हुए सभी बिम्ब प्राचीन शैली के और पक्के श्वेत पाषाण के होने से देखते ही दर्शकों के चित्त प्रसन्न हो जाते थे। 16 स्वयंसेवक मण्डल . प्रतिष्ठामहोत्सव पर एकत्र होने वाले संघ की भक्ति, वरघोडों की व्यवस्था और अन्य कामों की उचित व्यवस्था के लिये स्वयंसेवकमंडलों को बुलाने का महाराज साहबने उपदेश दे कर योग्य सेवामंडलों को आमंत्रित करवाया था जिस से निम्न लिखित 3 सेवामंडलोंने आ कर कुल व्यवस्था अपने ऊपर ले ली थी। (1) श्री आदिजिन सेवा मंडल-तखतगढ़. . सेवा मंडलों में प्रमुख उपर्युक्त तखतगढ का मंडल था। इस में मयवर्दी के 80 स्वयंसेवक (वालंटियर्स) थे। दो सेक्रेटरी, केप्टन, खजानची आदि अधिकारी भी मण्डल के साथ ही थे। ये सभी अपना अपना खास डेस पहिने और सजे हुए थे।