________________ 418 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध . मंडल के सभी सभासद प्रातःकाल 4 // साढे चार बजे उठ जाते और जरूरी कामों से निवृत्त हो 5 // साढे पांच से छः बजे तक प्रतिष्ठामण्डप, दोनों मंदिर और भोजनमंडप विगैरह में चौकी पहरे की डयुटी भरने लगते थे, नौ बजने पर उन की जगह नये वालंटियर आते और वे अपने अपने केम्पों में जाते / जलपान करके फिर वे अपनी अपनी ड्युटी पर चले आते थे / इस प्रकार बारी बारी से सभी वालंटियरों को जुदे जुदे स्थानों पर पहरा भरना पडता और यह क्रम हमेशा रात के 11 बजे तक रहता। प्रातःकाल 7 से 9 तक और दो पहर को 2 // से 4 // तक वरघोडे के चढावे बोले जाते थे, यह भी सर्व कार्य सेवामंडल के अधिकार में था। चढावे पूरे होते ही प्रतिष्ठामंडप के मैदान से दोनों समय वरघोडे चढते और नगर के मुख्य मार्गों में चक्कर काट कर फिर प्रतिष्ठामंडप के निकट आकर विसर्जन होते / वरघोडे विसर्जन होते ही खास खास स्थानों के पहरेदार वालंटियरों को छोड शेष सभी स्वयंसेवक भोजनमंडप में जाते और भोजन की पांत शुरू कराते। सब कामों में सेवामंडलों के लिये यह काम एक कसौटी रूप था / एक साथ हजारों मनुष्यों की पांतें कर जीमने बैठाना और उन को थालियां, गिलास, जीमन, शाक तर्कारियां, चावल, दाल और पानी