________________ 410 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध मिहराबदार 12 दरवाजों से सुशोभित था / इस के चारों ओर 7-7 फूट चौडी परिक्रमा रक्खी गयी थी। - वेदिका मंडप और पंच पोलिया के बीच सिंहासन पर प्रतिष्ठित प्रतिमा स्थापन करने का स्थान और पंचपोलिया के सामने बाहर के भाग में करीब 1426 घनफूट जमीन पर आलीशान सभामण्डप बना था। जहां पर गवैये पूजा पढाते, गायनमंडली गाती नाचतीं और दर्शकगण जिनभक्तिरसामृत का पान करते थे। __मंडप के तीनों भागों में कुल मिलाकर 23 बंगडीदार मिहराब वाले दरवाजे थे और 8 सादे / सारा मंडप ऊपर से सादे और नीचे से विविध रंगदार वस्त्रों से सजाया गया था। छोटे बडे कांच के तख्तों, हांडियों, गोलों, झुमर, मीना. कारी पट्टियों और रंगीन पुष्पमालाओं से मंडप देवविमान की तरह जगमगा रहा था / भीतर जाते ही प्रेक्षकों की आंखे चाँधिया जातीं और चित्त प्रसन्न हो जाते थे। प्रतिष्ठामंडप के सामने एक छायादार मैदान लगा हुआ था, जहां बड, नीम, इमली आदि के बडे बडे वृक्ष लहरा रहे थे मानों कुदरत ने ही यात्रिकों के लिये घनी छाया कर रक्खी थी / करीब 10000 दश हजार मनुष्य. -इस छाया में सुखपूर्वक बैठ सकते थे / मैदान के पूर्व भाग में एक मीठे