________________ 404 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्टा-प्रबन्ध जल के टांके (होद) के पास कुछ फासले पर रसोई के लिये छोटी बडी करीब 20 भट्टियां खोदा कर उन पर चांदनी बंधाई गयी / इसी रसोई स्थान के निकट एक बडा होल बना दिया था जहां पर रसोई के बर्तन, थालियां, रसोई का अन्यान्य सामान और तैयार हुई रसोई लापसी, सीरा वगैरह रखने के लिये बडे 2 कडावे रक्खे गये थे। . ___ इस होल के पिछले भाग में एक बडा नौहरा खोलाया गया था जिसमें घी, गुड, चावल मेदा, चीनी, गेहूं का दलिया वगैरह सामान रखा गया था। जहां जल का टांका बांधा गया था वहां एक बड़ा भारी बड का दख्त था जिसकी छाया टांके के ऊपर और आस पास दूर दूर तक पहुंचती थी, परन्तु यह छाया भी सब के लिये पर्याप्त नहीं थी इस कारण उसके सामने करीब 30000 तीस हजार घनफूट जमीन पर साइबानों, चांदनियों और खादियों से छाया की गयी थी। इसके उपरान्त इस जगह से कुछ ही दूर उसी खेत में अन्य वर्ण के लोगों के जीमने बैठने के लिये जमीन ठीक करायी गयी थी। (5) घृत-समिति. ओडर से अगर वगैर ओर्डर से आने वाले धी के व्यापारियों से परीक्षापूर्वक घी खरीदने, उसको गर्म कर छानने और डिब्बों में बन्द कर गोदाम में रखने का कार्य इस घृतसमिति