________________ 388 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध न्धमें विरुद्ध बातें करने वाले भी सहमत और अनुकूल हो गये / 7 अंजनशलाका कौन करा सकता है ? - मुहूर्तकी ही तरह ईर्षालु लोगोंने यह भी शंका खडी कर रक्खी थी कि 'अंजनशलाका आचार्य ही कर सकते हैं, तो मुनि कल्याणविजयजी यह कार्य कैसे करेंगे। गोल के श्रावकों से इस बात का कोई जिकर करता तो वे तो यही उत्तर देते कि 'यह बात महाराज को पूछो, हम को तो इस में कुछ शंका ही नहीं है, क्योंकि उनको करने का अधिकार होगा तभी वे अंजनशलाका का कार्य करना स्वीकार करते हैं। ईर्षालु लोग इस विषय में तरह तरह की गप्पें हांकते थे, परन्तु पूज्य मुनिमहाराज के सामने आकर पूछने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। और तो क्या, सुनने मुजब तपगच्छ के प्रसिद्ध आचार्य श्रीविजयनेमिसूरिजी तक यह कहते थे कि आचार्य के सिवा दूसरा अंजनशलाका नहीं कर सकता, परन्तु मुनिराज की विद्वत्ता और बहुश्रुतता सभी को मालूम थी, इस से उन को पूछने का किसी को साहस नहीं होता था। - गुगं साहब पं. भक्तिसोमजी के दिल में भी यह * शंका हो रही थी कि महाराज स्वयं आचार्य न होते हुए अंजनशलाका करने की जबाबदारी अपने ऊपर कैसे लेते हैं, परंतु