________________ - श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 391 बात तो यह है कि जिससे नयी मूर्तियां पूजनीय बनती हैं उसी विधान का नाम 'प्रतिष्ठा' है, और प्राचीन मूर्तियों को मन्दिर में पधराने और स्थापन करने के विधान का नाम 'बिंबप्रवेशविधि', यही कारण है कि नवीनबिंबों को अञ्जनशलाकापूर्वक पूजनीय करने के विधान करने वाले ग्रन्थों का नाम 'प्रतिष्ठाकल्प' पड़ा और प्राचीनबिंबों को स्थापन करने संबन्धी विधि के ग्रन्थ 'बिंबप्रवेशविधि' इस नाम से प्रसिद्ध हुए हैं। 9 कार्यारंभ-नोकारसियों के चढावे लोगों के मन की शंकाओ का समाधान करने के बाद महाराजसाहब ने संघ को धर्मशाला में इकट्ठा होने की सूचना की और संघ इकट्ठा हुआ, तब आपने फर्माया कि 'आज का दिन श्रेष्ठ है, इस वास्ते काम की शुरुआत आज ही हो जानी चाहिये / गोधूलिक का समय अच्छा है, उस समय जाजम विछा कर चढावा बोलना शुरू करना चाहिये / ' महाराजसाहब की आज्ञा संघ ने मस्तक पर चढाई और कहे हुए समय में जाजम का मुहूर्त किया और अञ्जनशलाका के दस दिन और शान्तिस्नात्र का एक दिन मिलकर कुल 11 दिन की ग्यारह नोकारसियों के चढावे बोले गये जो नीचे लिखे जाते हैं। 3001) अक्षरे रुपया तीन हजार एक का चढावा सं० 1991 द्वितीय वैशाख वदि 11 की नोकारसी का