________________ . 384 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध दिन की स्थिरता की / चैत्रशुदि 9 मी से गोल में महाराज साहब की अगवानी की तैयारियां हो रही थीं / चैत्रशुदि 10 के प्रातःसमय महाराज साहब ने पिंजोपुरा से गोल के लिये विहार किया। ___. जालोर से पिंजोपुरा तक जालोर का श्रावकसमुदाय और पिंजोपुरा से केसवणा तक पिंजोपुरा तथा केसवणा के श्रावक तो साथ में थे ही परन्तु केसवणा के नजदीक पहुंचते पहुंचते गोल के भी बहुत से श्रावक सामने आ.मिले थे। केसवणा के मन्दिरजी में दर्शन कर श्रावकों को माङ्गलिक सुना महाराज ने आगे विहार किया / अब तक सेंकडों मनुष्यों का मेला जम चुका था और केसवणा तथा गोल के बीच भाविक मनुप्यों का खासा तांता सा लग गया था। लगभग आठ बजे मुनिमहाराज गोल पहुंचे / जैनसंघ तो क्या सारा गांव ही महाराजसाहबों के दर्शनार्थ बाहर निकल आया था। बडे ठाठ और उत्सवपूर्वक नगरप्रवेश हुआ। नवीनधर्मशाला में मुकाम किया और माङ्गलिक सुन कर सभा विसर्जन हुई। 6 मुहूर्त विषयक शंका-निराकरण . जब गोल के पंच लुणावा से मुहूर्त पूछ कर अपने स्थान गोल आये और आगामी द्वितीयवैशाखशुक्ल 5 मी का मुहूर्त