________________ 5 पदसंग्रह कायामन्दिर पर पद ( राग ठुमरी) मंदिर एक बनाया हमने / मंदिर० // 1 // जिस मंदिरके दश दरवाजा, एक बुन्दकी माया रे / नानो पंखी जाके अन्दर, राज करे चित्त लाया रे / मन्दिर एक० // 1 // ' हाड मांस जाके नहीं दीसे, रूप रङ्ग नही जाया रे। पङ्ख न दीसे कैसे पिछार्नु, षट्रस भोगी भाया रे / मन्दिर एक० // 2 // जातो आतो नही कोइ देखे, नहीं कोई रूप बतावे रे / सब जग खाया तो पण भूखो, तृप्ति कबही न पावे रे / मन्दिर एक० // 3 // __ जालम पंखी तालम मंदिर, पाछी कोन बतावे रे। उस पंखी को जो कोइ जाने, सो ज्ञानानन्दनिधि पावे रे / मंदिर एक० // 4 // उपदेश पद ( काम छे दुष्ट विकारी० यह राग) . मस्त भयो तन धनमें / मुसाफिर मस्त भयो तन धन में / उठ जाना एक छिनमें / मुसाफर / आं० //