________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह श्री स्थूलिभद्र सज्झाय 1 (देशी आछेलाल) घोली गयो मुख घोल, चार घडीनो कोल, आछेलाल हजीय न आव्यो वालहो जी। देइ गयो दुखदाह, पाछो नान्यो नाह, आछेलाल के सही केणे भोलन्यो जी // 1 // रहे तो नही क्षण एक, रे दासी सुविवेक, आछेलाल जाइ जुओ दशे दिशाजी / एम घोलंती बाल, एहनी उत्तम चाल, आछेलाल छेल गयो मुज छेतरी जी // 2 // उलस वालस थाय, अंग उकालो थाय, आछेलाल नयणे नावे नींदडी जी। चोखा चंपकशरीर, नणदलना हो वीर, आछेलाल नयणे में दीठा नही जी // 3 // जेम चपैया मेह, मच्छने जलसं नेह, आछेलाल भमराने मन केतकी जी। चकवो चाहे चंद, इंद्राणी मन इंद, आछेलाल अहनिश तमने ओलगुं जी // 4 //