________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह चीज समकित्त का हृदय में, रुचि से वोना चाहिये / ध्यान में // 2 // कामना मन की सफल, आनंद से पूरन भई / अब तो समतासेज ऊपर, सुख से सोना चाहिये। ___ ध्यान में // 3 // दास चूनी अपने घर, आनंद से फुलेगा कल्प। भवस्थिति पकने से, मुगताफल सही लेना चाहिये / ध्यान में० // 4 // प्रभु प्रार्थना पद साहेब तेरी बंदगी मैं भूलता नहीं, भूलता नहीं मैं विसरता नहीं / साहेब०॥ अष्टादश दोष रहित देव है सही, अन्य देव शंकरादि मानता नहीं। साहेब० // 1 // मुनि है निग्रंथ सद्गुरु है सही,, अन्य गुरु वेशधारी मानता नहीं / साहेब० // 2 // दान शीयल तप भाव धरम है सही, . . अन्य धर्म विषय को मैं मानता नहीं / साहेब० // 3 // मुक्ति रूप सिद्धि सुख वांछता सही, संसार दुख जाल रूप जाचता नहीं / सा० // 4 // कहे मुनि कीर्तिवान तारिये सही, आवागमन भवभ्रमण का मेटिये सही / साहेब० // 5 //