________________ श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 127 13600, नियुक्ति भद्रबाहुकृत गाथा 607 श्लोक 700 चूर्णि-६०००, कुल 40300 है।' 2 चूलिकासूत्र 1 नंदीसूत्र-इस में पंचज्ञानका पूरे तौर से वर्णन किया है। देवर्धिगणिक्षमाश्रमणकृत है। मूल श्लोक 700, वृत्ति मलयगिरिकृत श्लोक 7735, चूर्णि. सं. 733 में की हुई 2000 श्लोक, लघुटीका हरिभद्रकी श्लोक 2312, कुल 12747 / तथा टिप्पण श्रीचंद्रसूरिकृत 3000 श्लोक प्रमाण है। 2 अनुयोगद्वार-इस में नय निक्षेपोंकी चर्चा और सिद्धि की गई है। यह द्रव्यानुयोग का ही ग्रंथ है। मूलगाथा 1600 श्लोक 1800, वृत्ति मलधारी हेमचंद्रसूरिकृत 6000 है / चूर्णि जिनदासगणि महत्तर की श्लोक 3000, हरिभद्रकृत लघुवृत्ति 3500, कुल संख्या 14300 है।' ___ इस मुजब 11 अंग, 12 उपांग, 10 पइन्ना, 6 छेदसूत्र 4 मूलग्रन्थ, 1 नंदी और 2 अनुयोगद्वार ये सब मिलकर 45 आगम सूत्र हाल में मौजूद हैं। 1 ताडपत्रीय सूचीमें उत्तराध्ययनसूत्र 2000, नियुक्ति 500, चर्णि 6000, लघवृत्ति 6000, द्वितीयलघवृत्ति 12000 बृहद्वृत्ति 17645 सर्वसंख्या 44145 श्लोक बताये है / ___2 ताडपत्रीय सूचीमें नंदीसूत्र 700, चूणि 2042, लघुवृत्ति 2312, बृहद्वृत्ति 7000 सर्व 12054 श्लोक कहे हैं / . 3 ताडपत्रीय सूची में अनुयोगद्वार सूत्र 1899, चूर्णि 6000, लघुवृत्ति 3005, बृहदुवृत्ति 7000 श्लोक प्रमाण लिखा है।