________________ 246 ___ 3 स्तवनसंग्रह श्री विमलनाथ जिन स्तवन. (गजल कवाली) विना दर्शन किये तेरा, नहीं दिल को करारी है / चुरा कर ले गई मन को, प्रभु सूरत तुम्हारी है / विना० // 1 // न कलपाओ दया लाओ, हमें निज पास बुलवाओ। सहा जाता नहीं अब तो, विरह का बोझ भारी है। विना // 2 // ज्ञान से ध्यान से तेरा, न सोनी रूप दुनिया में / फिदा हो प्रेममें तेरे, उमर सारी गुजारी है / विना० // 3 // दया पूरन कष्ट चूरन, करो अब आश मम पूरन / मेहेर की एक ही दृष्टि, हमें दृष्टि तुम्हारी है // विना० // 4 // विमल है नाम प्रभु तेरा, विमल कर नाथ 'मन मेरा / चरण में आप के डेरा, तिलक भवभव स्विकारी है / विना०॥५॥ श्री अनंतनाथ जिन स्तवन (देशी कडखे की) धार तरवारनी सोहिली दोहिली, चउदमा जिनतणी चरण सेवा / धार पर नाचता देख बाजीगरा, सेवना धार पर रहे न देवा / धार० // 1 // एक कहे सेविये विविध किरिया करी, फल अनेकांत लोचन न देखे /