________________ 224 3 स्तवनसंग्रह दायक शिवसुख सार हमारे० // 3 // तुम सेवा शुभभावे करता, पावे भक्नो पार हमारे० // 4 // कहे जिनदास प्रभु दर्शनथी, सफल थयो अवतार हमारे // 5 // श्रीआदिजिनस्तवन आदिनाथ अनादि काले रे, मिल गया मुझे मंदिर / / मैं ढूंढ फिरा जग सारा, तूं ना मिला प्रभुप्यारा / तव कतारगाम दिल धारा रे मिल गया० // 1 // तूं कहां से चल कर आया, इतने दिन क्यों न दिखाया। तुजको किसने भरमायारे / मिलगया० // 2 // मैं नरक निगोदसे आया, वहां काल अनंत गमाया। कोंने मुझे भरमाया रे / मिल गया० // 3 // कर्मों को क्यों न हटाया, तप जप संजम सुखदाया। इस का है यही उपाया रे / मिल गया // 4 // मैं क्या करूं सुण स्वामी, तूं तो है अंतरजामी / मोहने न करी खामी रे। मिल० // 5 // सुण हंस कहे पाडोसी, मिल पङा तुझे मैं जोशी / तेरी भी मुक्ति होसी रे, मिलगया मुझे मंदिर। आदिना०॥६॥