________________ . . 238 3 स्तवनसंग्रह श्री पद्मप्रभ स्तवन (रेखता या कवाली) पदम प्रभु प्राण से प्यारा, छुडावो कर्म की धारा / कर्मफंद तोडवा धोरी, प्रभुजी से अर्ज है मोरी, ... . पदम प्रभु० // 1 // लघुवय एक थे जीया, मुक्ति में वास तुम किया। न जानी पीड थे मोरी, प्रभु अब खेंच ले दोरी। . पदम प्रभु० // विषय सुख मानी मो मन में, गया सब काल गफलत में। नरक दुख वेदना भारी, निकलवा ना रही बारी। पदम प्रभु० // 3 // परवश दीनता कीनी, पापकी पोट सिर लीनी। . भक्ति नहीं जाणी तुम केरी, रहा निश दिन दुख घेरी / पदम प्रभु० // 4 // इण विध वीनती तोरी, करूं मैं दोय कर जोरी। आतम आनंद मुज दीजो, वीर का काम सब कीजो / पदम प्रभु० // 5 //