________________ 229 श्रीजेनशान-गुणसंग्रह . श्री आदिनाथ गायन आओजी आओ, आदिनाथ के गुण गाने वाले / चरनन के चाहने वाले, दरिसन के पानेवाले, तान मान ताल से जिन मंदिर को गजाने वाले / आओ जी० // 1 // समकित को धारन वाले, त्रिपदी पद पालन वाले, चउ गुन के जान, आतम ज्ञान के बढाने वाले / आओजी० // 2 // पर जीव के जानन वाले, रक्षा के मानन वाले, भक्षाभक्ष दिल में लक्ष के लगाने वाले / आओजी० // 3 // श्रावक व्रत धरने वाले, एक अठ से डरने वाले, तरने भव पार सुकृत नाव के चलाने बाले / आओजी // 4 // जिन वच रस पीने वाले, धन धन जग जीने वाले, गिरते भव कूप में निज प्राण के बचाने वाले / आओजी० // 5 // श्री अजितनाथं जिन स्तवन प्रीतलडी बंधाणी रे अजित जिणंदमुं, कांइ प्रभु पाखे क्षण एक मन न सुहाय जो / ध्यान नी ताली रे लागी नेहशु, जलदघटा जिम शिवसुतवाहन दाय जो, प्रीत० // 1 // नेहघेलं मन माहरुं रे, प्रभु अलजे रहे, तन धन मन ए कारणथी प्रभु मुझ जो /