________________ 228 3 स्तवनसंग्रह कंठे नवसर हार ही सोहे, ॐॐ० // 2 // सुंदर तेरा अचरिज कारी, रूप दिखाता है अविकारी / मैं नहीं समजत ना मति मेरी, ॐॐ० // 3 // हे जगनायक दीन दयालो, भव्य जनों के दुख सब टालो / अंतर हम कर दो उजियालो, ॐॐ० // 4 // आहोर नगरे आदि जिनंदा, भेट लिया है परमानंदा / विजय सौभाग्य के मिट गया फंदा ॐॐ० // 5 // आदि प्रभु गायन - भर लावो रे चंगेरी फूलन की, आंगी रचावो नाभिनंदन की, भर लावो रे० // 1 // चंपो चंबेली मरवो मोगरो, ' बीच में कलियां गुलाबन की, भर० // 2 // चुन चुन कलियां अंगियां बनावो, खूब छबी खुली हारन की, भर० // 3 // गेंद गुलाबको हीवडे बिराजे, चंद्रमुखी मूर्ति मोहन की, भर० // 4 // सुर सुरियामे जिनवर पूज्या, साख सुणो रायपसेणी की, भर० // 5 // द्रव्य भाव से पूजा रे करतां, निर्मल ज्योत समकित की। भर लावो रे चंगेरी० // 6 //