________________ __ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 171 मैं वडवृक्ष हो तो अच्छा है, दक्षिण तर्फ उदुंबर (उंबरा) वृक्ष शुभ है, पश्चिम भाग में पीपला और उत्तर में प्लक्ष (पारस पीपला) वृक्ष अच्छा है। घर में पूर्व दिशा में लक्ष्मी का स्थान, पश्चिम में भोजन का स्थान, उत्तर में जल रखने का पनिहारा, दक्षिण में सोने की जगह, अग्नि कोन में रसोडा, नैर्फत में शस्त्रशाला (शस्त्र रखने का स्थान), वायु कोन में अनाज की वखार और ईशान कोण में देवमंदिर बनवावे / . ____ यहां पर पूर्वादि दिशाओं का हिसाब घरके दरवजे की अपेक्षासे समझना चाहिये सूर्य की अपेक्षासे नहीं / घर के अनेक खिडकियां नहीं होनी चाहिये, खिडकी के किवाड मजबूत और आसानी से खोले जावे वैसे बनवाने चाहिये। इस के सिवाय ओर भी अच्छे अच्छे लक्षण हों वे शिल्प शास्त्र के जानने वाले से पूछ कर कराने चाहिये, जिस से भविष्य में हर तरह से वह घर हरा भरा रहे और दिन दिन उस की तरक्की होती रहे। (6) सूतक विचार. ... जन्म संबन्धी सूतक .... पुत्र का जन्म हो तो दश दिन का और पुत्री का जन्म हो तो ग्यारह दिन का सूतक लगता है। बारहवें दिन न्हाने धोने के बाद वह घर शुद्ध हो जाता है।