________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह .. भैंस का द्ध दही घी 15 दिन के बाद, गाय का दूध दही घी विगैरह तथा ऊंटणी का दूध प्रसव से दश दिन के बाद काम आता है और बकरी घेटी का 8 दिन के बाद / अर्थात् प्रसव से इतने दिनों के बाद दूध घी विगेरह खाने लायक होते हैं, पहले नहीं। पहले खाय तो पूजा प्रतिक्रमणादि नहीं कर सकते, सिर्फ बाहर से दर्शन में विशेष प्रतिबन्ध (हर्ज) नहीं है। रजस्वला (कारणवाली) स्त्री का सूतक कारण वाली स्त्री तीन दिन तक घर में बरतन आदिको नहीं छू सकती, दर्शन सामायिक, प्रतिक्रमण नहीं कर सकती, लेकिन तपस्या करे वह गिनती में आ सकती है। दिन 4 के बाद जिन पूजा कर सकती है, रोग के कारण कपडे धोने के बाद अशुद्धि नजर आवे उस का हर्ज नहीं, शुद्धि पूर्वक दर्शन हो सकता है / मुनिराज को दान दे सकती है, मगर भगवान् की अंगपूजा न कर सके। . कारण वाली स्त्री को चाहिये कि तीन दिन तक इलाहिदे कमरे में बैठे, घर में पनेहरा रसोडा या जहां घर के दूसरे मनुष्यों के सोने बैठने की जगह हो वहांसे दूर रहे। कई जगह देखा जाता है कि ऋतुवती स्त्रियां पूरा खयाल नहीं रखतीं, सारे घर में इधर उधर फिरने लग जाती हैं, यहां . तक कि रसोडे का भी पूरा परहेज नहीं रखतीं, यह कितनी