________________ 172 5 विविध विचार शास्त्रानुसार बारहवें दिन घर के अन्य मनुष्य भगवान् की पूजा कर सकते हैं। सूतक वाले घर से अलग रह कर भोजन करते हों तो दूसरे के घर से जल लाकर उस से स्नान कर सदा पूजा हो सकती है, कारण कि सूतक जहां जन्म हुआ है वहां गिना जाता है अन्यत्र नहीं / हां इस में इतना जरूर है कि जन्मे हुए बालक का पिता अगर अलग रसोई जीमता हो तो भी उस को पांच दिन का सूतक अवश्य पालना पडता है और शामिल रहे तो ग्यारह दिन का सूतक है ही। जन्म देने वाली स्त्री 1 महीना तक जिनमंदिरका दर्शन नहीं कर सकती, तथा 40 दिन तक भगवान् की पूजा नहीं करती / तथा 40 दिन तक उस के हाथ का बना हुआ भोजन मुनि को लेना न कल्पे गोत्री के लिये जो पांच दिन का सूतक कहा जाता है उस का मतलब यह है कि पुराने जमाने में एक कंपाउंड वाले घर में एक पछीत वाले भिन्न भिन्न कमरो में सारा कुटुंब रहता था, निकलने का दरवाजा एक ही होता था जिस से वहां गोत्रीजनों को पांच दिन का सूतक पालना पड़ता था। आज .कल सब कुटुंबी लोग अलग घरों में रहते हैं, एक कंपाउंड वाला घर नजर नहीं आता इस लिये गोत्री के वास्ते पांच दिन का हिसाब नहीं गिना जाता / अगर कहीं पर आज भी वैसे घर