________________ - श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह रखने योग्य हैं। वे अपवाद नीचे मुजब हैं जिन से योनि चैरादि होते हुए भी नामाजोडा निर्दोष माना जाता है। योनिवैर में अपवाद धनिक (मूर्ति कराने वाला) और देव (जिस तीर्थकर की मूर्ति है) के नक्षत्रों की योनि में परस्पर वैरभाव होने पर भी अगर धनिक नक्षत्र की योनि से जिन नक्षत्र की योनि कमजोर हो तो वहां नामाजोडा शुद्ध माना जाता है। जैसे केवलचंद के जन्म नक्षत्र 'पुनर्वसु' की योनि बिल्ली (मार्जार) है और सुमतिनाथ के जन्म नक्षत्र 'मघा' की योनि मूषक (उंदर), यहां यद्यपि बिल्ली और उंदर के आपस में वैर होने से केवलचंद और सुमतिनाथ के नामाजोडा में योनिवैर है, परन्तु यह योनिवर दोषरूप नहीं। क्योंकि धनिक केवलचंद जो सुमतिनाथ से कमजोर है उसकी योनि बलवान है और देव सुमतिनाथ जो बलवान् है उन की योनि केवलचंद की योनि से निर्बल है, इस कारण यहां योनिवैर का कुछ असर नहीं होता। इसी प्रकार सर्वत्र धनिक की योनि देव की योनिसे बलवान् होने पर योनिवैर का दोष नहीं माना जाता। 1 "बयो-बग-बवाः-धनिकस्य योनिगणवर्गा बलिष्ठाः सन्तीति, अयं भावः--अल्पबलेन बलिष्ठो न पराभूयते इत्यभिप्रायेण धनिकस्य मार्जारादिर्बलिष्ठो देवस्य चोन्दुरादिरबलः क्वचिद् गृहीतोऽस्तीति"। (धारणागतियन्त्राम्नाये)