________________ 166 ___5 विविध विचार (5) घर कहां और कैसा बनाना चाहिये ? जैन श्रावकों को किस जगह कैसी जमीन में और कैसा घर बनाना चाहिये इसका कुछ विवरण नीचे दिया जाता है। गृहस्थ को चाहिये कि अपने रहने का घर ऐसी जगह बनावे जहां धर्म अर्थ और काम इन तीनों की साधना होती रहे, जहां जैनमंदिर का योग हो, जहां मुनि महाराजों के दर्शन का और व्याख्यान सुनने का लाभ प्राप्त होता हो, जहां धर्मचुस्त श्रावकों की वसती भरपूर हो, आसपास के पडौसी लोग सदाचारी हों और जहां की आवहवा अच्छी हो। __ अच्छे गांव में रहने से दिन बदिन घर की और कुटुंब की आबादी और उन्नति बढती रहती है। कुग्राम में निवास करने से धर्मी मनुष्य की जींदगी खराब हालत को पहूंच जाती है, बुद्धि और विचार भी मलिन बन जाते हैं, इस दशा में न इस लोक का साधन होता है न परलोक का / व्यर्थ गृहस्थ जीवन नष्ट हो जाता है। एक नीतिकारने कहा है कि "यदि वांछसि मूर्खत्वं, ग्रामे वस दिनत्रयम् / अपूर्वस्यागमो नास्ति, पूर्वाधीतं च नश्यति // 1 // " हे विचारशील सज्जन ! अगर तू मूर्ख होना चाहता है तो अविवेकी गांव में तीन दिन निवास कर, कारण के उस गांव में नवीन ज्ञान की प्राप्ति नहीं है और पहले का पढ़ा हुआ नष्ट हो जाता है।