________________ ___ श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 157 नव पंचम और षडष्टक राशि कूट कहते हैं। जैसे एक व्यक्ति का राशि मेष है और दूसरे का वृष तो यह 'दुआ बारह' हुआ, क्योंकि मेष से वृषे दूसरा है और वृष से मेष बारहवां / इसी प्रकार नव पंचम और षडष्टक के उदाहरण स्वयं समझ लेना चाहिये। 4 नाडीवेध सर्पाकार चक्र बना कर ऊपर बीच में नीचे, नीचे बीच में ऊपर, ऊपर बीच में नीचे इस क्रम से अश्विनी आदि सत्ताईस नक्षत्र लिखे जाते हैं जिन में से 9 ऊपर 9 बीच में और 9 ही नीचे आते हैं इन्हीं उपरली विचली और निचली लाइनों का नाम क्रमशः आद्य मध्य और अन्त्यनाडी है। इन में ऊपर बीचे या नीचे की एक ही लाइन में दोनों नक्षत्रों का आना नाडीवेध कहलाता है / वधू और वर जिनबिम्ब और बिम्बकारक आदि का नाडीवेध वर्जित किया है, तब कहीं कहीं नाडीवेध को उत्तम भी माना है / 5 वर्ग .. वर्ग का तात्पर्य वर्णमाला के वर्णवर्गों से है, अर्थात् 1 अवर्ग 2 कवर्ग.३ चवर्ग 4 टवर्ग 5 तवर्ग 6 पवर्ग 7 यवर्ग और 8 शवर्ग ये आठ वर्ग हैं / इन में से किसी भी वर्ग से पांचवां वर्ग शत्रु कहलाता है। जैसे एक व्यक्ति का वर्ग 'अ'