________________ 94 3 श्रावक-द्वादश व्रत प्रतिज्ञा___ "मैं देव गुरु साक्षिक अतिथि संविभाग व्रत स्वीकार करता हूं। धारणा मुजब यथाशक्ति अतिथि संविभाग करूंगा।" अतिचार ___(1) सचित्तनिक्षेप-आहार. पर सचित्त वस्तु रख छोडे, मन में सोचे 'यह आहार मुनि लेवेंगे नहीं लेकिन निमंत्रण से मेरा व्रत पल जायगा, यह पहला अतिचार / (2) सचित्त पीहण-न देने की बुद्धि से आहार को सचित्त वस्तु से ढांक दे यह दूसरा अतिचार / (3) कालातिक्रम-गोचरी का समय टाल कर मुनि को आहार के लिये निमंत्रणा करे यह तीसरा अतिचार / (4) पर व्यपदेशमत्सर-दूसरा कोई निमित्त निकाल कर आहार जल्दी न देवे अथवा दूसरे की ईर्ष्या से दान देवे यह चोथा अतिचार (5) परवस्तुकथन-दान के वक्त अपनी वस्तु होने पर भी यह चीज दूसरे की है ऐसा कहकर न देवे यह पांचवां अतिचार है। नियम प्रतिवर्षअतिथि संविभाग करूंगा। इस तरह श्रावकों के सम्यक्त्वमूल बारह व्रतों का संक्षिप्त वर्णन ऊपर मुजब है / इसमें दिया हुआ व्रतों का स्वरूप समझ कर उस मुजब चलने की प्रतिज्ञा करनी चाहिये / प्रत्येक