________________ 121 श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह ख्या 25420; टीका 67936, लघुटीका 6828, चूर्णि 3361 कुल संख्या 103544 है। 10 पयन्ना 1 चउसरण पयन्नो-अरिहंत, सिद्ध, साधु, केवली भाषित धर्म, इन चार शरणों का अधिकार है। गाथा 63 हैं। 2 आउरपच्चक्खाण-अंत समय में अभिग्रह पञ्चक्वाण आदि कराने का अधिकार है / गाथा 84 / 3 भक्तपरिज्ञा-इसमें आहार पानी त्याग करने संबंधी अभिग्रह की विधि है / गाथा 172 हैं। 4 संथारगपयन्नो-इसमें अंत समये संथारा लेने का अधिकार या जिन्होंने संथारा लिया है उनका वर्णन है / गाथा 122 हैं। 5 तंदुलवेयाली पयन्नो-गाथा 400, इसमें गर्भ में जीवकी उत्पत्ति कैसे होती है इत्यादि वर्णन है। . 6 चंदाविज्जगपइन्नो-गाथा 310, इसमें गुरुशिष्य के गुण प्रयत्न विगैरह का वर्णन है / 7 देविंदत्थओ पइन्नय—इस में स्वर्ग के इंद्रों की गिनती है। गाथा 200 हैं। 1 ताडपत्रीय सूची में बारह उपांगों की सर्व श्लोक संख्या केवल 90013 निनानवे हजार तेरह लिखी है। - 2 ताडपत्रीय सूची में गाथा 170 बताई है। 3 ताडपत्रीय सूची में गाथा 120 बताई है /