________________ - श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 77 पलंग, चारपाई, (मांचा), कोच, गादी, तकिया, चटाई, दरी (सेत्रंजी), बिस्तरा आदि की संख्या करना / 10 विलेपन-शरीर में लगाने की चीज तेल, केशर, चंदन, सेंट, सुरमा, काजल, उबटना, साबुन, हजामत, बुरश, कंघा, काच, मलम पट्टी का लेप आदि / इनका वजन करलेना चाहिये। 11 ब्रह्मचर्य-परस्त्री का त्याग और स्वदार संतोष रक्खें। उसका भी रात्रि में परिमाण करें। काया से पालन करे / मन वचन की जयणा। . 12 दिशि-(१० दिशा) 4 दिशा 4 विदिशा ऊर्ध्व और अधो इन दश दिशाओं में जाने आने का (अमुक कोश तक का) नियम करना / धार्मिक कार्य की जयणा, तारचिट्ठी भेजना माल भेजना मंगवाना आदमी भेजना विगैरह इसी में समझना चाहिये। 13 स्नान-दिन में इतनी वार स्नान करना ऐसी धारणा करना / धार्मिक कार्य के लिये जयणा / ...14 भत्त-(भक्त) अशन-पान-खादिम-स्वादिम इन . चार प्रकार के आहारों में से, जितना खाने पीने में आवे उतने का सेरों में परिमाण रखना चाहिये / ___इन 14 नियम के उपरांत 6 काय और 3 कर्म की मर्यादा भी करनी चाहिये।