________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह विगई का त्याग तीन तरह से होता है. 1 कच्ची का त्याग (2) निवियाती का त्याग (3) मूल से त्याग। कच्ची दूध विगई का त्याग किया हो तो खीर, मावा (खौवा) विगैरह दूधकी बनी चीज अथवा दूध मिली चीज खाई पी जा सकती है, निवियाती का त्याग करने पर दूध विगई के खीर आदि निवियाते भी नहीं खा सकते और मूल से ही दूध का त्याग करने वाला तो जिसमें दूध का या उसके पदार्थों का थोडा भी भाग मिला हो उन चीजों को भी नहीं खा सकता / कच्ची दहि विगई का त्याग करने वाला दहि के बने रायता, मठा आदि का उपयोग कर सकता है परंतु निवियाते दहि का त्यागी उक्त पदार्थ नहीं खा सकता। मूल से दहि का त्यागी दहि जिसमें डाला गया हो एसा कोई भी पदार्थ नहीं खा सकता। कच्चे घी, तैल का त्याग करने वाला जला हुआ घी या तैल खा सकता है। निवियाते का त्यागी नहीं खा सकता और मूल से त्याग करने वाला जिनमें घी तेल पडे हों ऐसी कुछ भी चीज नहीं खा सकता। कच्ची कडाह विगई का त्याग हो तो तीन घाण के बाद बनी हुई चीज पूरी भजिया आदि खा सकते हैं। निवियाते का त्याग हो तो तीन घाण के बाद के घाण का भी नहीं खासकते / शीरा लापसी आदि कडाह विगई के निवियाते होने से