________________ 74 3 श्रावक-द्वादश व्रत जो बीज निकालने के बाद कच्ची दो घडी समय के उपरान्त अचित्त होती हैं, जैसे पके खरबूजे पके आम (केरी) इनमें से बीज निकालने पर दो घडी के बाद उसका गूदा रस या टुकडे अचित्त बनते हैं। खान पान में सचित्त का त्याग, संख्या या परिमाण किया जाता है। . 2 द्रव्य-जितने प्रकार की चीजें मुख में डालने की हों वे सब अलग अलग द्रव्य गिने जाते हैं, रोटी पूरी दाल चावल कढी शाक मिठाई पापड आदि, इनमें से जिन जिन द्रव्यों की दिन भर के लिये जरूरत समझे गितनी या वजन कायम कर रखना चाहिये। - 3 विगई—कुल विगई 10 हैं जिनमें 1 मधु (शहद) 2 मांस 3 मक्खन 4 मदिरा ये चार महाविगई अभक्ष्य हैं। श्रावक को इनका अवश्य त्याग करना चाहिये / भक्ष्य (खाने लायक) विगई 6 हैं-१ दूध, 2 दहि, 3 घी, 4 तेल, ५गुडखांड और 6 कडाह विगई (घी या तैल में बनाई जानेवाली मिठाई विगैरह ) / __हर एक विगई के निवियाते के पांच पांच भेद हैं जिनका विस्तार सहित वर्णन पच्चखाणभाष्य में दिया हुआ है, वहां से देख सकते हैं। छः विगई में से कम से कम एक एक विगई का त्याग सदा रखना चाहिये।