________________ 76 3 श्रावक-द्वादश व्रत वे भी नहीं खाये जा सकते / भूजे बघारे शाक आदि कडाह विगई नहीं हैं। 4 वाणह—(उपानह) जूता, बूट, चंपल, खडाउ, मोजा जोडी आदि की संख्या कर लेवे / भूल से पहनने में आ जाय तो उसकी जयणा / . 5 तंबोल-पान, सुपारी, इलायची, लोंग आदि मुखवास की चीजों का अंदाज करना (नवटांक पाव सेर आदि ) 6 वस्त्र-पगड़ी, टोपी, शाफा, अंगरखा, कुरता, कमीस, कोट, धोती, पायजामा, दुपट्टा, अंगोछा, रूमाल आदि मरदाना और जनाना कपडा जो ओढने पहिनने में आवें उनकी संख्या तथा गहने की संख्या कर लेना चाहिये। धर्मकार्य में जयणा / भूल से पहना जाय उसकी जयणा / 7 कुसुम-फूल, गजरा, तुर्रा, अत्तर, तमाखु, आदि जो सुंघने की चीजें हों उनका परिमाण करना। 8 वाहन सवारी का साधन-फिरता, चरता और तिरता यह तीन प्रकार का है। गाडी, मोटर, साइकल, ट्राम, रथ, पालखी, रेलवे, सिगराम, उडता एरोप्लाइन आदि फिरता, घोडा, ऊंट, हाथी, खच्चर, बैल आदि सवारी के वाहन पशु चरता, और नाव-आगबोट-स्टीमर आदि जल मार्ग के वाहन तिरता वाहन कहलाते हैं। अपने काम के लिये इनकी प्रतिदिन संख्या करनी चाहिये। 9 शयन-सोने बैठने का साधन कुरसी, टेबल, पट्टा, खच्चर, बल दि जल मालदिन