________________ श्रीजैनशान-गुणसंग्रह सामायिक का अर्थ आवश्यक सूत्र में इस मुजब किया है . "समानां-ज्ञानदर्शनचारित्राणां आयः-समायः समाय एव सामायिकम् / " अर्थात्-सम याने ज्ञान दर्शन और चारित्र इनका जो 'आय' अर्थात् लाभ उसका नाम 'समाय' समाय ही सामायिक है। अनुयोगद्वारटीका में भी कहा है"सामायिकं गुणाना-माधारः खमिव सर्वभावानाम्। नहि सामायिकहीना-श्चरणादिगुणान्विता येन // 1 // " ... तात्पर्य-सामायिक तमाम गुणों का आधार है जैसा कि सर्व पदार्थों का आधार आकाश, सामायिक रहित मनुष्य चास्त्रिादि गुण युक्त नहीं होते। ___ यह सामायिक व्रत 32 दोष रहित होना चाहिये / 32 दोष नीचे लिखे मुजब हैं- . - मन के 10 दोष-१ अविवेक, 2 यश की इच्छा, 3 लाभ की इच्छा, 4 अहंकार, 5, भय, 6 नियाणा बांधना, 7 फल में संशय लाना, 8 क्रोध करना, 9 अविनय, 10 भक्तिशून्यता। वचन के 10 दोष-१ कुवचन बोले, 2 अविचारा बोले, 3 प्रतिघातवचन (अगले के दिल में प्रहार करे ऐसा वचन), 4 बडबड बोलना, 5 प्रशंसा वचन बोले, 6 कलह करे, 7