________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 71 यह आखिरी समय है, अगर इस मुद्दत के भीतर खराब हो जावे तो उसी समय अभक्ष्य समझ कर नहीं खाना चाहिये / समझ कर सब चीजो में भक्ष्य अभक्ष्यपन का खयाल रखकर काम में ले / दहीं तथा छास 16 पहर के बाद अभक्ष्य समझनी चाहिये। 22 अनंतकाय-एक शरीर में अनंत जीव हो वह वनस्पति अनंतकाय कही जाती है। शास्त्र में बत्तीस प्रकार के अनन्तकाय अभक्ष्य कहे हैं, जो नीचे मुजब हैं(१) भूमिकंद (जमीन में जो कंद पैदा हों वे सब)। (2) सूरण कंद (3) वज्रकंद (4) लीली हलदी (हरी हल्दी) (5) आदा लीला (हरा अदरक) (6) हरिया कचुरा (हरा कचूरा) (7) वरीयाली की जड (दूसरा नाम बिराली कंद)। (8) शतावरी (शतावर) (9) कुंआर पाठा (घीग्वार) (10) थूअर (11) गिलोय (गुरच) (12) लहसून (लसण) (13) करेला वांस का (14) गाजर