________________ . श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह साला डाल कर बोंही महीनों और वर्षों तक रखा हुआ अचार (अथाणा) अभक्ष्य होने से त्याज्य है / 17 द्विदल (कठोल)-जिन धान्यों की दो दाल (फाड) होती है और उनमें तेल की चिकनाहट न हो उनको द्विदल कहते हैं। मुंग चणा चौला उडद वटाना वाल मटर मेथी दाना आदि सब द्विदल हैं। कच्चे दूध दहीं या छास के साथ मिलने से द्विदल अभक्ष्य बन जाता है। क्योंकि उसमें तत्काल जीवोत्पत्ति होजाती है / परंतु गर्म किये हुए दूध दही विगैरह में द्विदल मिलने से वह अभक्ष्य नहीं होता, इस वास्ते खान पान के समय द्विदल का पूरा ख्याल रहना चाहिये / सुंग चणे जैसे द्विदल का शाक खाते समय अगर हाथ शाक में डाला हुआ हो तो धोकर तथा मुंह में कुल्ला कर फिर कच्चा दही या छास खाने का उपयोग रक्खे / इसके सिवाय वेसण गटा पतोल आदि कोई भी द्विदल का शाक छास या दही मिलाकर करना हो तो पहले दही छास को गरम कर ले पीछे उस में द्विदल का चून दाल आदि डालकर शाक बनावे ताकि उसमें अभक्ष्य का दोष प्राप्त न हो / 18 घोलवडा-दहिका घोल कर उसमें डाले गये बड़े / घोल को गर्म कर उसमें डाले गये बडे अभक्ष्य नहीं होते। 19 तुच्छफल-टींबरु, केरडा के पीचू, पीलु, बोर आदि फल जिसमें खाना थोडा और छोडना बहुत ये सब तुच्छ