________________ 3 श्रावक-द्वादश व्रत का एक घर बना देवे, हद तोड कर दो तीन खेतों का एक खेत कर लेवे और दिलमें ख्याल करे 'नियम के उपरान्त मैं ने कुछ नहीं रक्खा, ऐसी करतूत करने वालों को दूसरा अतिचार लगता है। - (3) रूप्यसुवर्णप्रमाणातिक्रम-अपने लिये या अपनी स्त्री आदि के लिये सोना चांदी के जेवर भारी तोल के बनवा कर संख्या कायम रख कर सोना चांदी अधिक प्रमाण में रखे तो तीसरा अतिचार लगता है। . . (4) कुप्यपरिमाणातिक्रम-तांबा पीतल आदि के बासणों बरतनों की संख्या करने के बाद संपत्ति बढ जाने पर वे वासण वजन में भारी तोल के बनवावे / मन में सोचे 'मैंने वासणों की जो गिनती की है वह टूटती तो नहीं है, फिर वजन में अधिक होने में क्या हर्ज है' इसी तरह पहले कच्चे 'तोल के परिमाण में रख कर फिर पक्के तोल के परिमाण से रख लेवे तो चोथा अतिचार लगता है। .. (5) द्विपद-चतुष्पदअतिक्रम-दास दासी गाय भैस परिमाण से अधिक हो जावें तब बेच कर फिर गर्भ धारण करावे, तथा अपने भाई बहनों के नाम के कर रख देवे तो पांचवा अतिचार लगता है। नियम१ रोकड धन रु. लाख या . हजार 2 कुल धान्य कलसी ... अथवा... मण