________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह लगता है। . नियम१ पूर्व में योजन जाऊंगा। 2 दक्षिण में योजन जाऊंगा। 3 पश्चिम में योजन जाऊंगा। 4 उत्तर में योजन जाऊंगा। 5 ऊंचा योजन चढूंगा। 6 नीचा योजन उतरूंगा। छोटे बड़े पहाडों के ऊपर चढना, टीलो-टेकरों वृक्षों मकानों पर चढना भी ऊर्ध्व दिशा गमन में शुमार है। इसी प्रकार ऊपरवालों को नीचे उतरना अधोदिशागमन में / भोगोपभोगपरिमाण. स्वरूप इस व्रत में खाने पीने की वस्तु का परिमाण होता है, ' तथा जिन में ज्यादह हिंसा होती है ऐसे व्यापार धंधों का त्याग किया जाता है, बाईस अभक्ष्य और बत्तीस अनंतकाय का त्याग किया जाता है। चौदह नियम भी इसी के अंतर्गत है। आहार, फल, पुष्प, तैल अत्तर विगैरह जो एक वार काम में आवे उस को 'भोग' और घर मकान कपडे जेवर स्त्री विगैरह जो वार वार उपयोग में आवे उस को ' उपभोग' कहते हैं, दोनों तरह की वस्तुओंका नियम करना सो 'भोगो