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अपभ्रंश-साहित्य
नौ वासुदेव और नौ प्रति वासुदेव माने जाते हैं । ये तीनों सदा समकालीन होते हैं। राम, लक्ष्मण और रावण क्रमशः आठवें बलदेव, वासुदेव और प्रति वासुदेव माने गये हैं। जैनधर्मानुसार बलदेव और वासुदेव किसी राजा की भिन्न-भिन्न रानियों के पुत्र होते हैं। वासुदेव अपने बड़ भाई बलदेव के साथ प्रतिवासुदेव से युद्ध करते हैं और अन्त में उसे मार देते हैं। परिणामस्वरूप जीवन के बाद वासुदेव नरक में जाते हैं। बलदव अपने भाई की मृत्यु के कारण दुःखाकुल होकर जैनधर्म में दीक्षित हो जाते हैं और अन्त में मोक्ष प्राप्त करते हैं। ___स्थूल दृष्टि से रामायण में दो संप्रदाय दृष्टिगत होते हैं-एक तो विमल सूरि की परम्परा और दूसरी गुणभद्राचार्य की। साहित्यदृष्टि से आचार्य गुणभद्र की कथा की अपेक्षा विमल सूरि की कथा अनेक सुन्दर वर्णनों से युक्त है और अधिक चित्ताकर्षक है। अतएव गुणभद्र की कथा की अपेक्षा विमल सूरि की कथा कवियों में विशेषरूप से और लोक में सामान्यरूप से अधिक आदृत हुई। विमल सूरि के पद्मचरिय का संस्कृत रूपान्तर रविषेणाचार्य ने पद्म चरित नाम से ६६० ई० में किया।
विमल सूरि की कथा में रावण का चरित्र उदात्त और उज्ज्वल अंकित किया गया है। इसमें रावण सौम्याकार, सौजन्य, दया, क्षमा, धर्मभीरुत्व, गांभीयं आदि सद्गुणों से युक्त एक श्रेष्ठ पुरुष और महात्मा चित्रित किया गया है।
विमल सूरि की परम्परा के अनुसार राम कथा का स्वरूप इस प्रकार का है
राजा रत्नश्रवा और केकसी की चार संतान हुईं-रावण, कुम्भकर्ण, चन्द्रनखा और विभीषण । जब रत्नश्रवा ने प्रथम बार नन्हें पुत्र रावण को देखा तो उसके गले में एक माला पड़ी हुई थी। इस माला में बच्चे के दस सिर दिखाई दिये, इसलिए पिता ने उसका नाम दशानन या दशग्रीव रखा। विमलसूरि ने इन्द्र, यम, वरुण
आदि को देवता न मान कर राजा माना है। हनुमान ने रावण की ओर से वरुण के विरुद्ध युद्ध करके चन्द्रनखा की पुत्री अनंगकुसुमा से विवाह किया। खरदूषण किसी विद्याधरवंश का राजकुमार था (रावण का भाई नहीं)। उसका रावण की बहिन चन्द्रनखा से विवाह हुआ। इनके पुत्र का नाम शम्बूक था।
पउमचरिय में बतलाया गया है कि राजा दशरथ की—कौशल्या, सुमित्रा, कैकेयी और सुप्रभा नामक चार रानियों से क्रमशः राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न नामक पुत्र उत्पन्न हुए। ___राज जनक की विदेहा नामक रानी से एक पुत्री सीता और एक पुत्र भामंडल उत्पन्न हुआ। सीता-स्वयंवर, कैकेयी का वर मांगना आदि प्रसंग वाल्मीकि रामायण के अनुसार ही हैं किन्तु वनवास का अंश नितान्त भिन्न हैं।
विमलसूरि के अनुसार सीताहरण का कारण, सूर्यहास खड्ग की प्राप्ति के लिए तपस्या करते हुए शम्बूक का लक्ष्मण द्वारा भूल से मारा जाना था। शम्बूक शूद्र न होकर चन्द्रनखा तथा खरदूषण का पुत्र था। रावण यह समाचार सुन वहाँ पहुँचा और सीता को दखकर उस पर आसक्त हो गया। सीताहरण के समय लक्ष्मण