Book Title: Apbhramsa Sahitya
Author(s): Harivansh Kochad
Publisher: Bhartiya Sahitya Mandir

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Page 428
________________ धनपाल वीर धवल नयनंदी मनि कनकामर श्री चन्द्र पद्मकीर्ति धाहिल चन्दवरदाई श्रीधर भविसयत्त कहा ११ वीं-१२वीं शताब्दी भविष्यदत्त के कथानक द्वारा श्रुत पंचमी व्रत का माहात्म्य-प्रदर्शन जम्बुसामि चरिउ वि० सं० १०७६ अन्तिम केवली जंबू स्वामी का चरित्र-वर्णन हरिवंश पुराण वि० सं० ११वीं शताब्दी महाभारत कथा सुदंसण चरिउ, सकल विधि- वि० सं० ११०० सुदशन चरित्र द्वारा पंच नमस्कार का माहात्म्य। विधान काव्य नाना विधिविधानों एवं आराधनाओं का विवेचन करकंड चरिउ वि० सं० ११२२ करकंडु महाराज के चरित्र द्वारा जैनधर्म के सदाचारमय जीवन का दिग्दर्शन कथा कोष तथा रत्न करंड शास्त्र वि० सं० ११२३ धार्मिक एवं उपदेशप्रद कथाएँ पासचरिउ-पार्श्वपुराण वि० सं० ११३४ २३वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का चरित्र पउम सिरी चरिउ वि० सं० ११९१ से पूर्व पद्मश्री का जीवन-चरित्र पृथ्वीराज रासो १२वीं - १३वीं शताब्दी चौहानवंशी पृथ्वीराज तृतीय का जीवन पासणाह चरिउ वि० सं० १२वीं-१३वीं शताब्दी पार्श्वनाथ का चरित्र सुकुमाल चरिउ सुकुमाल स्वामी के पूवजन्म का वर्णन भविसयत्त चरिउ श्रुत पंचमी व्रत के फल और माहात्य का प्रदर्शन करने के लिये भविष्यदत्त का चरित्र-वर्णन सुलोयणा चरिउ वि० सं० १०२९-१३७२ चक्रवर्ती भरत के प्रधान सेनापति जय कुमार की धर्मपत्नी सुलोचना का चरित्र उपदेश रासायन रास वि० सं० ११३२-१२१० वि. नीति एवं सदाचार संबंधी धर्मोपदेश काल स्वरूप कुलक चर्चरी जिनदत्त सूरि के गरु जिनवल्लभ सूरि का गुणगान तथा नाना चैत्य विधियों का विधान वैराग्यसार ११वीं-१३वीं शताब्दी धर्मतत्त्व विवेचन द्वारा वैराग्य भाव प्रचार भरतबाहुबलिरास वि० सं० १२४१ ऋषभ पुत्र भरत और भरत के छोटे भाई बाहुबलि के जीवन-संघष का वर्णन अपभ्रंश साहित्य देवसेन गणि जिनदत्त सूरि सुप्रभाचार्य शालिभद्र सूरि

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