Book Title: Apbhramsa Sahitya
Author(s): Harivansh Kochad
Publisher: Bhartiya Sahitya Mandir

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Page 429
________________ जिनपद्म सूरि विनयचन्द सूरि सिंह अब्दुल रहमान धर्म सूरि विजयसेन सूरि हरिभद्र सोमप्रभ अमरकीति विनयचन्द्र जयदेव मनि देल्हण लाख या लक्खन सिरि थूलभद्द फाग नेमिनाथ चतुष्पदिका पज्जुण्ण चरि सन्देश रासक जम्ब स्वामि रास रेवंत गिरि रास सनत्कुमार चरित जीवमनः करण संलाप कथा, स्थूलभद्र कथा, द्वादश भावना छक्कम्मोव उवएस माल कहाणय छप्पय, भावना सन्धिप्रकरण गय-सुकुमाल रास जिणदत्त चरिउ अणवय रयण पईय स्थूलीभद्र और कोशा की कथा २२व तीर्थंकर नेमिनाथ की कथा २४ कामदेवों म से २१वें कामदेव कृष्णपुत्र प्रद्युम्न का चरित्र वि० सं० १२वीं, १३वीं शताब्दी एक विरहिणी का अपने प्रवासी प्रियतम को एक पथिक द्वारा सन्देश भेजना जंब स्वामी का चरित्र रेवंत गिरि की प्रशंसा, नेमिनाथ की स्तुति, गिरिनार के जन मन्दिरों का जीर्णोद्वार ऋषि सनत्कुमार का चरित्र - वर्णन धार्मिक कथाबद्ध रूपक-काव्य स्थूलभद्र और कोशा की कथा संसार की अनित्यता और क्षणभंगरता बतलाते हुए द्वादश भावनाओं के पालन का महत्त्व वि० सं० १२५७ के आस-पास वि० सं० १२५७ के आस-पास वि० सं० १३वीं शताब्दी वि० सं० १२६६ वि० सं० १२८८ वि० सं० १२१६ वि० सं० १२४१ वि० सं० १२४७ १३वीं शताब्दी १३वीं - १४वीं शताब्दी वि० सं० १३०० वि० सं० १३१३ गृहस्थोचित देवपूजा, गुरुसेवा, शास्त्राभ्यास, संयम, तप और दान नामक छह कर्मों के पालन का उपदेश प्राचीन तीर्थंकरों और धार्मिक पुरुषों के उदाहरणों द्वारा धर्माचरण का उपदेश नैतिक और धार्मिक जीवन का उपदेश कृष्ण भगवान के छोटे सहोदर भाई गजसुकुमाल का चरित्र जिनदत्त का चरित्र वर्णन श्रावकोचित व्रतों -अणव्रतों एवं कर्त्तव्यों के स्वरूप और स्वभाव का वर्णन परिशिष्ट १ ४११

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