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अपभ्रंश-साहित्य राजाओं का जीवन विलासमय था । ऐश्वर्याभिभूत राजाओं का अधिकांश समय अपनी अनेक रानियों-उपपत्नियों के साथ अन्तःपुर में या क्रीडोद्यान में बीतता था। राजा बहुपत्नीक होते थे । करकंडु की मदनावलि, रति वेगा, कुसुमावलि, रत्नावलि, अनंगलेखा, चन्द्र लेखा नामक रानियों का उल्लेख कवि ने किया है । - राजकुमारों को राजनीति, व्याकरण, तर्क शास्त्र, नाटक, कविरचित काव्य, वात्स्यायन कृत काम शास्त्र, गणित आदि शास्त्रों के अतिरिक्त नव रसों, मन्त्र, तंत्र, वशीकरण आदि की भी शिक्षा दी जाती थी (२. ९) ।
स्त्री के विषय में समाज की धारणा अच्छी न थी, उसे भोग विलास का साधन समझा जाता था। मदनावलि के वियोग में व्याकुल करकंडु को एक विद्याधर कहता है--
कि महिलहे कारणे खवहि देह जणे महिल होइ दुहणिवह गेहु । मा कीरइ जारी गरयवासु कह किज्जइ पारीसहूं णिवासु। परिफुरिए चित्ते जा जरु करेइ दुह कारणु सा को अणु सरेइ । भव वल्ली वड्ढइ जाहे संगि रामा लायइदुह मणुय अंगि। बलवंता कीरइ बलविहीण सा अबला सेवहिं जे णिहीण ।
५. १६. २-६ ९. ६. ६ में कवि ने नारी को चंचल और निकृष्ट कहा है।
आजकल की तरह स्त्रियाँ मुनि दर्शन के लिए अधिक उत्सुक होती थीं। मुनिराज शील गुप्त के आने पर स्त्रियों के स्वाभाविक उत्साह का वर्णन कवि ने ९. २ में किया है ।
भोग विलास मय जीवन से नारी भी ऊब गई थी । वह भी अपने नारीत्व से छुटकारा पाने के लिए व्यग्र हो उठी थी इसका आभास पद्मावती के शब्दों में मिलता है। वह मुनि शीलगुप्त से धार्मिक उपदेश सुनती है जिससे 'थीवेउ णिहम्मइ जेण एहु (१०. १५. ५) । मुनि उसे सुमित्रा की कथा सुनाकर आश्वासन देते हैं कि वह भी भवान्तर में नारीत्व से छुटकारा पा गई (१०. १८) । १०. २२. ९-१० में इसी भाव का संकेत है कि पद्मावती नारीत्व त्याग कर संन्यासी हो स्वर्ग सिधारी। ____ ग्रंथ में शुभ शकुन के लिए एक कथा का उल्लेख है । लोग स्वप्न ज्ञान और शकुन ज्ञान में विश्वास करते थे। पद्मावती ने स्वप्न में हाथी के दर्शन किये जिसका फल उसके पति ने पुत्रोत्पत्ति बताया (१.८)।
मन्त्रों और तन्त्रों में भी लोगों की आस्था थी । मंत्र शक्ति के प्रभाव को सूचित करने के लिए अवान्तर कथा कवि ने २. १०. १२ में दी है । मन्त्र के प्रभव से राक्षस को वश में करने का उल्लेख २. १२. ३-४ में मिलता है। ___ शाप में भी लोग विश्वास किया करते थे। एक तपस्विनी के शाप से मनुष्य तोता हो गया--ऐसा उल्लेख ६. १२ में मिलता है । अलौकिक और दिव्य घटनाओं पर भी लोग विश्वास किया करते थे । इस प्रकार की अनेक घटनाओं का उल्लेख ग्रंथ