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अपभ्रंश-साहित्य
.. चौरासी सिद्धों में से सरह, शबर, लूई, दारिका, कण्हपा और शान्ति मुख्य सिद्ध हुए । इनकी विचारधारा को समझने के लिए इन का संक्षेप में नीचे विवरण दिया जाता है।
सरह पा-सरह सिद्धों में सब से प्रथम हैं। इनका काल डा० विनयतोष भट्टाचार्य ने वि० सं० ६९० निश्चित किया है। राहल जी ने इनका काल ७६० ई० माना है। .. इनके दूसरे नाम राहुल भद्र और सरोज वज्र भी हैं । यह जन्म से ब्राह्मण थे। भिक्षु होकर एक अच्छे पंडित हुए। नालन्दा में कई वर्षों तक रहे। यह संस्कृत के भी ज्ञाता थे। पीछे इनका ध्यान मन्त्र तन्त्र की और आकर्षित हुआ और यह एक बाण (शर-सर) बनाने वाले की कन्या को महामुद्रा बनाकर किसी अरण्य में रहने लगे। वहां यह भी शर (बाण) बनाया करते थे, इसीलिये इनका नाम सरह पड़ा। शबर पाद इतके प्रधान शिष्य थे। कोई तान्त्रिक नागार्जुन भी इनके शिष्य थे । भोटिया तन् जूर में इनके ३२ ग्रन्थों का अनुवाद मिलता है । इनकी मुख्य कृतियाँ हैं--काया कोष, अमृत वज्र गीति, चित्तकोष-अज-वज्र गीति, डाकिनी-गुह्य-वज्रगीति, दोहा कोष उपदेश गीति, दोहाकोष, तत्वोपदेश-शिखर- दोहाकोष, भावनाफल-दृष्टिचर्या-दोहाकोष, वसन्त-तिलकदोहाकोष, चर्यागीति-दोहाकोष , महामुद्रोपदेश-दोहाकोष, सरह पाद गीतिका ।' ये सब ग्रन्थ वज्रयान पर लिखे गये हैं। ___सरह की कविता के विषय हैं--रहस्यवाद, पाखंडों का खंडन, मन्त्र देवतादि की व्यर्थता, सहजमार्ग, योग से निर्वाण प्राप्ति, गुरुमहिमागान आदि ।
इनकी कविता की भाषा सीधी और सरल है--बीच-बीच में मुहावरों के प्रयोग से प्रभावोत्पादकता बढ़ गई है। इनकी कविता के कुछ उदाहरण नीचे दिये जाते हैं। कर्मकाण्ड का विरोध करते हुए सरह कहते हैं : बह्मणहि म जाणन्त हि भेउ । एवंइ पढिअउ ए चउवेउ ॥ मट्टि पाणि कुस लई पढन्त । घरहीं बइसी अग्गि हुणन्त ॥ कज्जे विरहइ हुअवह होयें। अक्खि डहाविअ कडुएं धूयें ।
किन्तह दीवें किं तह वज्जें। किन्तह किज्जइ मन्तह सेव्वे ॥
किन्तह तित्थ तपोवण जाई। मोक्ख कि लब्भइ पाणीन्हाई ॥ सरह मन्त्र तन्त्र को व्यर्थ समझते हैं.--
"मन्त ण तन्त ण धेअ ण धारण । सब वि रे बढ़ विब्भम कारण ॥ यह भोग में ही निर्वाण प्राप्ति समझते हैं :
"खाअन्त पिअन्ते सुहहिं रमन्ते । णित्त पुष्णु चक्का वि भरन्ते । अइस धम्म सिज्झइ पर लोअह । णाह पाए दलीउ भअलोअह ।।
" ..१. राहुल सांकृत्यायन, पुरातत्व निबन्धावली, १९३७, पृ० १६९
२. उदाहरण दोहाकोष, चर्यापद और हिन्दी काव्यधारा से लिये गये हैं।