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अपभ्रंश-खंडकाव्य (धार्मिक)
लिए वधू को वर के घर ले जाने की प्रथा प्रचलित थी। पृथ्वी देवी विवाह के लिए गिरि नगर से कनकपुर लाई गई थी (१. १७. १.)। इसी तरह कान्य कुब्ज के राजा विनयपाल की पुत्री राजकुमारी शीलवती को जब कि वह राजा हरिवर्म के साथ विवाह के लिए सिंहपुर ले जाई जा रही थी तो बीच में ही मथुरा के राजा ने हर लिया था (५. २. १३)।
संगीत-नृत्य, गीत और वाद्य-कला राजकुमार और राजकुमारियों की शिक्षा का आवश्यक अंग थी। राजकुमारी इन्हीं के आधार पर वर को चुना करती थी। काश्मीर की राजकुमारी ने णायकमार से तभी विवाह किया था जब उसने आलापिनी बजाने में अपनी चतुरता का परिचय दिया था (५.७. ११) । इसी प्रकार मेघपुर की राजकुमारी ने भी णायकुमार की मृदंग चातुरी के कारण ही उससे विवाह किया था (८. ७. ७.) । नागकुमार ने स्वयं वीणा बजाई और उस पर उसकी तीन रानियों ने जिन मंदिर में नृत्य किया (५. ११. १२) । जब जयन्धर का पृथ्वीदेवी के साथ विवाह हुआ तो पुर नारियों ने नृत्य किया (१. १८. २) । ___ मनोरंजन के साधन क्रीड़ोद्यान या जल क्रीड़ा थे। राजकुमार अन्तःपुरवासियों के साथ इन स्थानों पर जाकर अपना दिल बहलाते थे। कवि के समय समाज में जुआ खेलने की प्रथा थी । इस खेल के लिए द्यूतगृह (टिंटा) बने हुए थे (३. १२) । धन उपार्जन के लिए भी इसका आश्रय लिया जाता था जैसे नागकुमार ने किया था। णायकुमार के पिता का विचार था कि"देवासुरहं मणोरह गारउ अक्खजूउ जणमणहं पियारउ" ।
३.१३.९ ग्रंथ में स्वप्न ज्ञान और शकुन ज्ञान का विचार है। पृथ्वी देवी ने स्वप्न में हाथी, सिंह, समुद्र, चन्द्र, सूर्य और कमल सर देखा। मुनि पिहिताश्रव ने इसका फल पुत्रोत्पत्ति बताया। इससे प्रतीत होता है कि उस समय लोग स्वप्नज्ञान में विश्वास करते थे । लोग मंत्र, तंत्रादि में भी विश्वास करते थे । नागकुमार को इन्द्र जाल, रिपुस्तंभन, मोहन आदि विद्याएं सिखाई गई थीं (३. १ १२) । ___ लोग साधु संतों की भविष्यवाणी पर पूरा विश्वास किया करते थे। चमत्कार के घटित होने पर भी लोगों को विश्वास था। अलौकिक घटनाओं से सारा काव्य भरा पड़ा है।
जसहर चरिउ' ___ कवि पुष्पदन्त द्वारा चारि संधियों में रचा हुआ काव्य है । जसहर या यशोधर की कथा जैन साहित्य में बहुत प्रसिद्ध है। इसका चरित्र इसके पूर्व भी अनेक जैन कवियों ने
१. डा० परशुराम लक्ष्मण वैद्य द्वारा संपादित, कारंजा जैन पब्लिकेशन सोसायटी,
कारंजा, बरार से १९३१ ई० में प्रकाशित ।