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अपभ्रंश - खंडकाव्य (धार्मिक)
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कथानक -- संक्षेप में कथा इस प्रकार है
भरत क्षेत्रान्तर्गत मगध देश के राजगृह नामक नगर में श्रेणिक राजा राज्य करते थे । उनकी रानी का नाम चेल्लना महादेवी था । एक बार वर्धमान के राजगृह में पधारने पर राजा और सब नगरवासी उनके दर्शनार्थ गए । दूसरी सन्धि से राजा की प्रार्थना पर गौतम गणधर कथा आरम्भ करते हैं ।
भरत क्षेत्रान्तर्गत अंग देश का कवि ने श्लिष्ट और अलंकृत भाषा में वर्णन किया है। उसी देश की चंपापुरी में धाड़ीवाहन नामक राजा राज्य करता था । उनकी रानी का नाम अभया था। चंपापुरी में ऋषभदास नामक धनी मानी श्रेष्ठी भी रहता था । इसकी पत्नी का नाम अरुह दासी था । एक गोपाल इस श्रेष्ठी का परिचित मित्र था । वह दौर्भाग्य से गंगा में डूब गया । इसी घटना के साथ दूसरी सन्धि समाप्त होती है ।
अरुह दासी ने स्वप्न देखा कि उसके घर उसी सुभग गोपाल ने जन्म लिया । मरते समय पंचनमस्कार करने के परिणामस्वरूप ही उस गोपाल ने जन्मान्तर में ऋषभ दास श्रेष्ठी के घर पुत्र रूप में जन्म लिया । पुत्र का नाम सुदर्शन रखा गया। सुदर्शन की बाल haar कवि ने विस्तृत वर्णन किया है। वह धीरे-धीरे बड़ा हुआ और उसने समग्र कलायें सीखीं । क्रमशः उसने युवावस्था में पदार्पण किया । वह अत्यन्त रूपवान् और आकर्षक युवक था । उसके सौंदर्य को देख कर पुर सुन्दरियों का चित्त विक्षुब्ध हो उठता था। उनके चित्त - विक्षोभ का कवि ने सुन्दर वर्णन किया है
"आहरण काfव विवरीय लेइ, दप्पण णिय विवए तिल देइ "
अर्थात् कोई स्त्री उलटा अभूषण पहिरने लगी, कोई दर्पणस्थित अपने प्रतिबिम्ब पर तिलक लगाने लगी । इत्यादि ।
संधि में कवि ने सागर दत्त श्रेष्ठी की पुत्री मनोरमा के सौंदर्य का वर्णन किया है । मनोरमा के सौंदर्य को देखकर सुदर्शन उस पर मुग्ध हो गया । इसी अवसर पर कवि ने अनेक प्रकार की स्त्रियों के लक्षण, गुण, स्वभावादि का परिचय दिया है। सुदर्शन मनोरमा को देख विरह व्याकुल हो उठा ।
मनोरमा के विरह वर्णन के साथ पांचवीं संधिप्रारम्भ होती है । अन्ततोगत्वा सुदर्शन का मनोरमा के साथ विवाह हो गया। विवाह में भोजन दावत का वर्णन करना भी कवि नभूला। इसी प्रसंग में सूर्यास्त, सुरतक्रीडा और प्रभात के सुन्दर वर्णन कवि ने प्रस्तुत किये हैं । अधोलिखित गाथा से छठी संधि का आरम्भ होता है
सरसं विजण सहियं मोययसारं पमाण सिद्धं खु । भोज्जं कव्व विसेसं विरलं सहि एरिसं लोए ॥
६. १
समाधिगुप्त मुनि द्वारा उपदेश दिये जाने पर ऋषभदास के स्वर्ग-गमन के साथ संधि समाप्त होती है ।
सुदर्शन के अनुपम सौंदर्य से आकृष्ट हो धाडी वाहन राजा की रानी अभया और कपिला नाम) एक अन्य स्त्री उस पर आसक्त हो गई । वसन्त और जलक्रीड़ा के मनो