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सातवाँ अध्याय
अपभ्रंश-खंडकाव्य (धार्मिक)
महाकाव्य का नायक कोई दिव्य कुलोत्पन्न या धीरोदात्त क्षत्रिय होता था । एक ही वंश में उत्पन्न अनेक राजाओं का वर्णन भी महाकाव्य का विषय हो सकता था । महाकाव्य में किसी नायक के समस्त जीवन को सरस काव्यमय प्रसंगों द्वारा अंकित किया जाना चाहिए | खंड काव्य में नायक के समग्र जीवन का चित्र उपस्थित न कर उसके एक भाग का चित्र अंकित किया जाता है । काव्योपयुक्त सरस और सुन्दर वर्णन महाकाव्य और खंड काव्य दोनों में ही उपलब्ध होते हैं । अपभ्रंश में अनेक चरिउ ग्रन्थ इस प्रकार के हैं जिनमें किसी महापुरुष का चरित्र किसी एक दृष्टि से ही अंकित किया गया है । कवि की धार्मिक भावना के पूरक रूप में प्रस्तुत, नायक के जीवन के इस रूप में उपलब्ध होने के कारण ऐसे चरिउ ग्रन्थों की गणना खंड काव्यों में ही की गई है ।
अपभ्रंश में धार्मिक दृष्टिकोण से रहित खंड काव्य भी उपलब्ध होते हैं । धार्मिक भावना के प्रचार की दृष्टि से लिखे गये काव्यों में काव्यत्व कुछ दब सा जाता है । अतएव इस भावना से रहित काव्यों में साहित्यिक रूप और काव्यत्व अधिक प्रस्फुटित सका है। इस प्रकार के काव्य हमें दो रूयों में उपलब्ध होते हैं - एक इस प्रकार के काव्य जिनमें शुद्ध ऐहलौकिक भावना से प्रेरित हो कवि ने किसी लौकिक जीवन से संबद्ध घटना को अंकित किया है और दूसरे इस प्रकार के काव्य जो ऐतिहासिक तत्व से मिश्रित है, जिसमें धार्मिक या पौराणिक नायक के स्थान पर किसी राजा के गुणों और पराक्रमों का वर्णन है और उसी की प्रशंसा में कवि ने काव्य रचा है । इस दृष्टि भेद से हमारे सामने तीन प्रकार के खंड काव्य हैं ।
१. शुद्ध धार्मिक दृष्टि से लिखे गये काव्य, जिनमें किसी धार्मिक या पौराणिक महापुरुष के चरित का अंकन किया गया है ।
२. धार्मिक दृष्टिकोण से रहित ऐहलौकिक भावना से युक्त काव्य, जिनमें किसी लौकिक घटना का वर्णन है ।
३. धार्मिक या साम्प्रदायिक भावना से रहित काव्य, जिनमें किसी राजा के चरित का वर्णन है ।
इनमें प्रथम प्रकार के खंड काव्य प्रचुरता से मिलते हैं । उन्हीं का वर्णन इस अध्याय में किया गया है। शेष दो प्रकार के खंड काव्यों का वर्णन अगले अध्यायों में किया जायगा ।