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व्यक्ति के लिए भी अशान्ति का कारण है और समाज एवं देश की शान्ति को भी नष्ट करने वाली है । यह कहावत नितान्त सत्य है- ‘Less coin, less care. ' संग्रह (धन) जितना कम होगा, उतनी ही कम चिन्ता होगी । दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि- 'जिसके पास कम संग्रह होगा, उसके पास उतनी ही अधिक शान्ति होगी । ' " वस्तुतः वह सबसे बड़ा सम्पत्तिशाली है, जो थोड़ी-सी पूँजी अर्थात् आवश्यक पदार्थों में ही सन्तुष्ट रहता है । क्योंकि उसे जड़ पदार्थों का नहीं, अनन्त शान्ति का अनुपम खजाना प्राप्त हो जाता है और शान्ति से बढ़कर दुनियाँ में कोई चीज नहीं है ।
किसी
जिसके पास कम
संग्रह होगा, उसके
पास उतनी ही अधिक शान्ति
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होगी।
किसी
प्रत्येक व्यक्ति शान्ति चाहता है । अतः उसके लिए यह आवश्यक है कि वह संग्रह - वृत्ति का त्याग करे । अपने जीवन को सीमित एवं सादा बनाए । श्रावक - गृहस्थ के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी इच्छाओं को सीमा से बाहर न जाने दें । वह प्रत्येक पदार्थ को ग्रहण करते समय अपने विवेक की आँख को खुला रखे । आसक्ति की भावना को अपने मन में न घुसने दे । उसके लिए यह स्पष्ट है कि धन-धान्य, स्वर्ण, चाँदी, जवाहरात, खेत, मकान, दुकान, बैलगाड़ी, घोड़ा, गाय, बैल, भैंस आदि किसी भी वस्तु को आवश्यकता के बिना ग्रहण न करे । जो वस्तु अपने एवं अपने पारिवारिक जीवन के लिए अनावश्यक है, उसका संग्रह करना परिग्रह है, पाप है, और पारिवारिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय अपराध है, अशान्ति का मूल है । अतः श्रावक का यह प्रमुख कर्तव्य है
1. He is the richest who is contents with the least. Socrates