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है और पूर्व देही पर । पश्चिम तलवार-तीर में विश्वास रखता है, पूर्व मानव के अन्तर मन में, मानव की सहज स्नेह-शीलता में।
आज की राजनीति में विरोध है, कलह 06 धर्म क्या है ? | है, असन्तोष है और अशान्ति है । नीति.
सबके पति 'भले ही राजा की हो या प्रजा की, अपने मंगल-भावना।
| आप में पवित्र है, शुद्ध और निर्मल है । समत्व-योग की इस | क्योंकि उसका कार्य जनकल्याण है, जग विनाश
| नहीं । नीति का अर्थ है, जीवन की कसौटी, ही धर्म कहा
जीवन की प्रामाणिकता, जीवन की सत्यता । गया है।
विग्रह और कलह को वहाँ अवकाश नहीं ।
क्योंकि वहाँ स्वार्थ और वासना का दमन
- होता है । और धर्म क्या है ? सबके प्रति मंगल-भावना । सबके सुख में सुख-बुद्धि और सबके दुःख में दुःखबुद्धि । समत्व-योग की इस पवित्र भावना को ही धर्म कहा गया है । धर्म और नीति सिक्के के दो बाजू है । दोनों की जीवन-विकास में आवश्यकता भी है, यह प्रश्न अलग है कि राजनीति में धर्म और नीति का गठबन्धन कहाँ तक संगत रह सकता है । विशेषतः आज की राजनीति में जहाँ स्वार्थ और वासना का नग्न ताण्डव नृत्य हो रहा हो । मानवता मर रही हो ।'
बुद्ध और महावीर ने समूचे संसार को धर्म का सन्देश दियाराजनीति से अलग हटकर, यद्यपि वे जन्मजात राजा थे । गाँधीजी ने नीतिमय जीवन का आदेश दिया, राजनीति में भी धर्म का शुभ प्रवेश कराया- यद्यपि गाँधीजी जन्म से राजा नहीं थे । यों गाँधीजी ने राजनीति में धर्म की अवतारणा की । गाँधीजी की भाषा में राजनीति वह है, जो
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