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धर्म से अनुप्राणित हो, धर्म-मूलक हो । जिस | नीति में धर्म नहीं, वह राजनीति, कुनीति | जहाँ न्याय, वहाँ रहेगी । राजा की नीति धर्ममय होती है । | धर्म होता ही है। क्योंकि भारतीय परम्परा में राजा न्याय का न्याय रहित नीति; विशुद्ध प्रतीक है । जहाँ न्याय वहाँ धर्म होता नीति नहीं, अनीति ही है । न्याय रहित नीति, नीति नहीं, | है, अधर्म है। अनीति है, अधर्म है।
आज भारत स्वतंत्र है और भारत की राजनीति का मूल आधार है- पंचशील सिद्धान्त । इस पंचशील सिद्धान्त के सबसे बड़े व्याख्याकार थे- भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू । भारत, चीन और रूस विश्व की सर्वतोमहान् शक्तियाँ आज इस पंचशील सिद्धान्त के आधार पर परस्पर मित्र बने हैं । गाँधी युग की या नेहरू युग की यह सबसे बड़ी देन है, संसार को । दुनियाँ की आधी से अधिक जनता पंचशील के पावन सिद्धान्त में अपना विश्वास ही नहीं रखती, बल्कि पालन भी करती है । यूरोप पर भी धीरे-धीरे पंचशील का जादू फैल रहा है। राजनैतिक पंचशील :
1. अखण्डता : एक देश दूसरे देश की सीमा का अतिक्रमण न करे । उसकी स्वतन्त्रता पर आक्रमण न करे । इस प्रकार का दबाव न डाला जाए, जिससे उसकी अखण्डता पर संकट उपस्थित हो ।
2. प्रभु-सत्ता : प्रत्येक राष्ट्र की अपनी प्रभु-सत्ता है। उसकी स्वतन्त्रता में किसी प्रकार की बाधा बाहर से नहीं आनी चाहिए ।
3. अहस्तक्षेप : किसी देश के आन्तरिक या बाह्य सम्बन्धों में किसी प्रकार का हस्त-क्षेप नहीं होना चाहिए ।
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