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के असली रूप को देखना हो, तो बाहर में नहीं, घर में देखिए । वह क्या है, कैसा है
यदि व्यक्ति के इसका परीक्षण और निर्णय घर की परिस्थिति
असली रूप को में ही आप कर सकते हैं । बाहर में व्यक्ति देखना हो, तो पर बहुत से आवरण रहते हैं, सभ्यता और बाहर में नहीं, शिष्टता का दबाव रहता है, इज्जत का भय | घर में देखिए। रहता है । अतः व्यक्ति का असली रूप बाहर में नहीं, घर में ही देखा जा सकता है, क्योंकि घर में मनुष्य दबाव से मुक्त होता है, इसलिए वहाँ अन्दर की वृत्तियाँ खुलकर खेलती है । व्यक्ति के जीवन में एक राजनीति चल रही है, वह हर क्षेत्र में विभिन्न रूप, विभिन्न आकृतियों से व्यक्त होती है, अपने असली रूप को प्रकट ही नहीं होने देता । यह विचित्र राजनीति, जो कभी राज्य शासन का अंग थी, आज परिवार और व्यक्तिगत जीवन का अंग बन गई है।
राजा का लक्षण बताते हुए महाभारत में व्यास ने राजनीति के सम्बन्ध में एक बात आदिपर्व, 3/123 में कही है
वाङ नवनीतं, हृदयं तीक्ष्ण-धारम् । राजा की वाणी तो मक्खन के समान कोमल होती है, परन्तु हृदय पैनी धार वाले छुरे के समान तीक्ष्ण होता है । अर्थात् अपने अन्तर-भावों को छिपाते रहना, बिल्कुल शान्त रहना, वाणी से मीठी-मीठी बातें करना और भीतर से शत्रु का मूलोच्छेदन कर डालने के लिए षड्यन्त्र के छुरे चलाते रहना- यह राजा का लक्षण है । हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी, राजनीति की यह वृत्ति आज
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